Haddi Movie Review: “हड्डी” फिल्म एक किन्नर (Trans Gender) के प्यार और उसके बदले की कहानी है. यह फिल्म दो घंटे से अधिक की है जो की एक अलग ही दुनिया और किरदारों से रू-ब-रू कराती है. आज 7 सितम्बर को यह फिल्म जी5(Zee 5 ) पर रिलीज़ हो गयी है, वीकेंड (Weekend Film) में इस फिल्म का आप आनंद ले सकते है।
निर्देशकः अक्षत अजय शर्मा
एक्टर्स: नवाजुद्दीन सिद्दिकी, अनुराग कश्यप, जीशान अयूब, इला अरुण
रेटिंग***
एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दिकी का पहला लुक मीडिया में रिलीज होने के साथ ही यह फिल्म चारो तरफ चर्चा में आ गई थी. ये फिल्म आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है. जो की किन्नरों की दुनिया है . पिछले दिनों वेब सीरीज ताली (Web Series Taali) में यह दुनिया दिखाई गयी थी, लेकिन वह एक बायोपिक (Biopic) थी और “हड्डी” एक फिल्म है और “ताली” से बिल्कुल भिन्न है. यह फिल्म किन्नर किरदार को लीड रोल में रखकर बनाई गई है ,यह एक एक्शन के साथ-साथ मसाला फिल्म की तरह है. जिसमें खतरनाक विलेन और अच्छी खासी लड़ाई, प्यार और बदला है. इसे हम एक एक्शन थ्रिलर फिल्म भी कह सकते है। इस कहानी में सभी परतें धीरे-धीरे खुलती हैं. परन्तु आखिरी के आधे घंटे में घटनाक्रम तेज घूमने लगता है.
“हड्डी” फिल्म के अहम किरदार और राजनीति
हड्डी फिल्म उत्तर भारत (North India) में रहने वाले एक लड़के हरी के हरिका और फिर उसके हड्डी बनने की कहानी है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी (Nawazuddin Siddiqi) अपने आपको बदलते-बदलते हड्डी यानी एक ट्रांसमहिला (Transwoman) के किरदार में बदल जाते हैं. यहां किन्नरों की पूरी एक अलग दुनिया नजर आती है.इस फिल्म में रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) की कहानियां, उन्हें लेकर हमारे समाज में होने वाली बातें भी प्रमुखता से दिखाई गयी है. इसमें किन्नरों के घराने और राजनीति के साथ जुड़ाव का मिक्स भी है. जो इस फिल्म की कहानी में वास्तविक उतार-चढ़ाव पैदा करता है जिससे की फिल्म में एक रोमांच देखने को मिलता है. नोएडा (Noida) में एक राजनेता प्रमोद अहलावत जिसका किरदार अनुराग कश्यप निभा रहे है , जो अपनी संपत्ति और भौकाल को बढ़ाने के लिए, किन्नर घरानों की बस्तियां अपनी ताकत और रसूख से कब्जा कर रहा है. इससे पहले वेब सीरीज ताली में दिखाया गया था कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किन्नरों को देश में थर्ड जेंडर (Third Gender) का दर्जा प्राप्त हुआ . वर्ना 2014 से पहले तो जनगणना तक में उनकी कोई गिनती नहीं होती थी. ऐसे में उनके नाम पर कोई भी संपत्ति या जायदाद के कागजात कहां से होतेॽ हड्डी फिल्म यह बात नहीं कहती, लेकिन यह जरूर समझा जा सकता है कि राजनेता प्रमोद अहलावत इसी बात का फायदा उठाता है.
“हड्डी” फिल्म की कहानी का आधार
इसी पूरे घटनाक्रम के बीच प्रमोद अहलावत और हड्डी (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) किस तरह एक दूसरे के सामने आ जाते हैं, यह जानने के लिए फिल्म देखना जरुरी है. एक शक्तिशाली और रसूख राजनेता के सामने मामूली किन्नर की क्या हैसियतॽ लेकिन इस फिल्म में यह लड़ाई देखने वाली है क्यूंकि यह कई मोड़ों से होकर गुजरती है और इसमें तेजी से उभरने वाला इंसानी हड्डियों का धंधा करता है जो सामने आकर चौंकाता है. सड़कों से लेकर अस्पतालों तक, यह तक की मुर्दाघरों में भी जिन लाशों (Unclaimed Dead Bodies) पर किसी का दावा नहीं होता, उन लाशों का मांस गलाकर बची हुई हड्डियों का कारोबार करोड़ों में चलता है. फिल्म इस बारे में भी रोचक तथ्य रखती है. सही में देखा जाये तो हड्डी और प्रमोद अहलावत की कहानी के अंतिम पल फिल्म को रोमांचक के साथ-साथ, बेहद फिल्मी भी बना देते हैं. हड्डी (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) का कहना है कि मैं मरती नहीं… कनफ्यूजन पैदा करता है. कुछ एक्शन दृश्य भी है जो कि गले नहीं उतरते.
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अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) फिल्म में किरदार और उनका अभिनय देखने वाला हैं. हालांकि कहीं-कहीं वह लड़खड़ाते हुए भी दीखते हैं और जिससे यह प्रतीत होता है कि वह अपने काम को हल्के में ले रहे हैं, लेकिन बाकी जगहों पर वह बेहद प्रभावी हैं. नवाजुद्दीन सिद्दिकी का अभिनय सराहनीय है, मगर ऐसा लगता है कि उनकी एक्टिंग पर उनका व्यक्तित्व ज्यादा हावी हो गया है. वह हमेशा अपने किरदार पर भारी पड़ जाते हैं. हर दृश्य में वो नवाज ही लगते हैं. अगर हम उनकी कुछ बीती फिल्मों में में देखे तो ये उनके साथ लगातार हो रहा है. फिल्म की बाकी स्टारकास्ट भी रोचक है और उनका अभिनय भी सराहनीय है, लेकिन अदम्य भल्ला का अक्षत अजय शर्मा अपने स्क्रिप्ट में बेहतर इस्तेमाल नहीं कर सके. नवाज और अनुराग की कहानियों में जितनी परतें हैं और जितना रोमांच पैदा करती है, सहायक कलाकारों के ट्रेक वैसे मोड़ों से नहीं गुजरते. खास तौर पर विपिन शर्मा और मोहम्मद जीशान अयूब के किरदार देखकर लगता है कि इनके टैलेंट के साथ सही न्याय नहीं हुआ उनसे और भी हम कुछ बेहतर करा सकते थे।
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दिल मजबूत करके देखे
Haddi Movie Review: अगर हम फिल्म के निर्देशन की बात करे तो निर्देशक अक्षत अजय शर्मा ने फिल्म पर पकड़ बनाए रखी है और जटिलाओं के बीच फिल्म की कहानी को संभालने में सफल रहे. अगर आपको ऐसा कंटेंट सिनेमा पसंद है, जो की मुख्यधारा की फिल्मों के आस-पास होता है, तो हड्डी आपको जरूर एंटरटेन करेगी. फिल्म के संवाद (डायलाग) भी अच्छे हैं. इसे काफी खूबशूरती से शूट किया गया है. गीत-संगीत भी आपका ध्यान खींचता है. वीकेंड पर अगर आप घर में ही हैं, तो दो घंटे से कुछ अधिक की यह फिल्म आप देख सकते है. हालांकि कहीं-कहीं खून-खराबा जरुरत से अधिक है तो वह आपको थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी. हो सकता है की आपके बच्चे इससे डरे तो कोशिश करे की इस फिल्म को बच्चो से दूर रखे। कुल मिलकर अगर हम कहे तो ये फिल्म आपको अच्छे से एंटरटेन करेगी और पुरे समय अपने साथ जोड़ कर रखेगी।
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