Aditya L1: चंद्रयान 3 के ऐतिहासिक सफलता को अभी 2 हफ्ते पुरे नहीं हुए है और ISRO एक बार फिर से इतिहास रचने जा रहा है , 2 सितम्बर 2023 को इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। आदित्य एल1 की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से हुई। यह मिशन भी चंद्रयान-3 मिशन की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा मेंआगे बढ़ेगा। आईये समझते इस मिशन के बारे में।
विस्तार
Aditya L1 इंडिया का पहला मिशन है जो की पूर्णरूप से सूरज का अध्ययन करेगा लेकिन जैसे चंद्रयान चाँद पर लैंड किया था वैसे आदित्य सूरज पर लैंड नहीं करेगा बल्कि दूर से ही सूरज को जांचेगा बल्कि यह स्पेसक्राफ्ट धरती से ज्यादा करीब होगा सूरज से, इस मिशन के दौरान , अगर कहा जाये तो यह लांच होने के बाद धरती से 1.4 मिलियन km दूर जा कर लग्रांज पॉइंट L1(Lagrange Point) पर जा कर ये एक हेलो ऑर्बिट( Helo Orbit) में घूमेगा ,उस पॉइंट पे पहुंचने में इसे लगभग लांच से 4 महीने लगेंगे और एक बार वह पहुंच गया तो 5 साल तक वही रह कर सूरज को ऑब्सर्व (observe) करेगा। इसीलिए ये एक स्पेसक्राफ्ट नहीं बल्कि यह स्पेस ऑब्जर्वेटरी भी है।
लग्रांज पॉइंट (Lagrange Point) क्या है?
लग्रांज पॉइंट(Lagrange Point) वो अनोखे पॉइंट है स्पेस में जहा पे दो सेलेस्टियल बॉडीज का ग्रेविटेशनल फ़ोर्स बैलेंस आउट करता है , सूरज और धरती को अगर हम ले तो यहाँ 5 लग्रांज पॉइंट बनते है। निचे images में देख सकते है की ये 5 पॉइंट्स कहा पर बनते है। ये वो पॉइंट्स है जहा पर हम अगर कोई स्पेसक्राफ्ट भेजेंगे तो स्पेसक्राफ्ट का ऑर्बिटल मोशन ,सेन्ट्रीफ्यूगल फ़ोर्स ,धरती और सूरज के ग्रेविटेशनल फ़ोर्स से कैंसिलआउट कर जायेगा। इसका फयदा हुआ , हमे स्टेबिलिटी मिलती है , जो स्पेसक्राफ्ट हम लग्रांज पॉइंट पर भेजेंगे हमे तकरीबन कोई भी प्रयास नहीं करना पड़ेगा उस स्पैक्रॉफ्ट को उस पॉइंट पर बनाये रखने के लिए। स्पेसक्राफ्ट का फ्यूल बचेगा और वो स्पेसक्राफ्ट धरती के अराउंड रेवोलुशन के साथ-साथ गोल-गोल घूमता रहेगा इसके साथ-साथ ज्यादा लम्बे मिशन्स भी किये जा सकते है। दूसरा बेनिफिट है कॉन्टिनुएस ऑब्जरवेशन (Continuous observation) ,लग्रांज पॉइंट L1 का उदहारण ले तो यहाँ पर जो भी चीज अगर हम L1 पॉइंट पर भेजेंगे , वो continuously ऐसी पोजीशन में रहेगी जहा से धरती और सूरज दोनों को देखा जा सके और कभी भी धरती और सूरज एक दूसरे के शैडो में छुपेंगे नहीं। इसीलिए लग्रांज पॉइंट इतने जरुरी है और आदित्य L1 को लग्रांज पॉइंट पे प्लेस किया जायेगा और यही से इसका नाम आया Aditya L1। इससे पहले भी बाकी और स्पेस एजेंसी ने स्पेस ऑब्जर्वेटरी भेजी है उसे L1 पे प्लेस किया गया है।
L1 और L2 सबसे महत्वपूर्ण लग्रांज पॉइंट है जो धरती के सबसे करीब है, जो फेमस James Webb Space Telescope है उसे L2 पॉइंट पे प्लेस किया गया है, क्या आप जानते है इसका क्या कारण है? L2 पॉइंट पर धरती सूरज को छुपा कर रखेगी अपने पीछे और क्यूकि इस टेलिस्कोप से light year दूर तक देखना है यूनिवर्स की गैहराईयो में तो सूरज की रौशनी को छुपाना जरुरी है ताकि इसका कोई इंटरफेरेंस न आ सके, इसलिए L2 पॉइंट यहाँ चुना गया है।
आखिर “आदित्य L1” सूरज पर क्या करेगा?
ये समझने के लिए हमे थोड़ा सूरज के बारे में जानना पड़ेगा। हमारे सोलर सिस्टम का सूरज , इसका diameter लगभग 109 गुना ज्यादा बड़ा है धरती के diameter से। इसका वजन 333000 गुना ज्यादा भारी है धरती के वजन से। जैसे धरती के अंदर अलग अलग लेयर्स होती है Core ,Metal ,Crust . ऐसे ही सूरज के अंदर भी अलग अलग लेयर्स होती है। सूरज के अंदर भी एक Core मौजूद है ,इस core के अंदर nuclear fusion के रिएक्शंस होते है। Hydrogen और Helium गैसेस को एनर्जी में कन्वर्ट किया जाता है। इसी एनर्जी से Sunlight पैदा होती है और heat निकलती है जो हमें धरती पे भी महसूस होती है। Core का temperature 15 मिलियन डिग्री तक जा सकता है , इसके एकदम बाहर है Radiative Zone ,70% Sun का रेडियस radiative जोन से बनता है।
इसके बाद आता है Convective Zone , जो की 30% सूरज का रेडियस है, यहाँ एनर्जी ट्रांसफर कन्वेक्शन के थ्रू होता है इसीलिए इसे Convective zone कहते है। इसके बाद आता है सूरज का surface जिसे हम बोलते है Photosphere. वैसे तो इसे हम surface कहते है पर सूरज का कोई surface नहीं होता है जैसे धरती का surface होता है क्योकि वहां सिर्फ गर्म गैसेस और प्लाज्मा मौजूद रहता है। इसे सूरज के वातावरण की सबसे निचला लेयर भी कहा जाता है। यहाँ तापमान काफी ठंडा हो जाता है, केवल 5500 डिग्री। इसके ऊपर आती है Cromosphere की लेयर जहा से तापमान फिर बढ़ने लगता है, 6000 डिग्री से शुरू होता है और 20000 डिग्री तक जाता है फिर एक पतली सी लेयर है Transition region नाम से और उसके बाद सूरज की सबसे ऑउटरमोस्ट लेयर आती है जिसे Corona कहा जाता है। Corona की लेयर में बहुत गरम प्लाज्मा मौजूद होता है जिसका तापमान 1से 2 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक होता है ।
एक सवाल और आपके मन में आता होगा कि क्या कारण है की सूरज का core इतना गरम लेकिन surface ठंडा होता है और कोरोना वाली लेयर फिर से गरम हो जाती है ? ये सवाल अभी भी मिस्ट्री है साइंटिस्ट्स और लोगो के लिए , हो सकता है आदित्य L1 इस मिशन के दौरान कई राज खोलेगा। आदित्य L १ का मिशन है सूरज के ऊपर के तीन लेयरों की स्टडी करना Photosphere ,Chromosphere,और Corona .
आदित्य L1(Aditya L1) सूरज के ऊपर तीनो लेयरों की स्टडी कैसे करेगा?
सूरज की स्टडी करने के लिए “आदित्य L1” पे 7 पेलोडस लगे है, जो निम्नप्रकार के है:
1- विज़िबल एमिशन लाइन करोनाग्राफ (VELC) – ये कोरोना लेयर को स्टडी करेगा और कोरोनल मास इजेक्शन्स को स्टडी करेगा।
2- सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT) – ये सूरज की Photosphere और Chromosphere इमेजिंग लेगा अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम में.
3- सोलर लो एनर्जी X-Ray स्पेक्ट्रोमीटर ( SOLEXS) – ये सूरज से निकली लो एनर्जी X-Ray को स्टडी करेगा।
4- हाई एनर्जी L १ ओर्बिटिंग Xray स्पेक्ट्रोमीटर (HILIOS)– ये सूरज से निकली हाई एनर्जी X-Ray को स्टडी करेगा।
5- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) –
6- प्लाज एनालायज़र पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)– ASPEX और PAPA ये दोनों सोलर विंड को स्टडी करेंगे।
7 – मैगनेटोमीटर (MAG) – इसका काम है L1 पॉइंट पे मौजूद मैग्नेटिकफील्डस को मापना।
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सार
“आदित्य एल1” (Aditya L1)के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं, जो सूरज का विस्तृत अध्ययन करेंगे. इन सात में से 4 पेलोड डायरेक्ट सूरज को स्टडी करेंगे बाकी 3 ,L1 पॉइंट के आसपास माप लेंगे। इस पुरे प्रोसेस से आप समझ ही गए होंगे की इन माप को लेने के लिए जरुरी है धरती से बाहर निकलना, क्यूंकि धरती एक वातावरण है जो की बहुत सारे रेडिएशन, X-ray और अलग-अलग चीजों को धरती के अंदर आने से रोकती है,जो की मनुष्य जीवन के लिए हितकर है लेकिन स्टडी करने के लिए अच्चा नहीं है..और कई अलग-अलग देशो के द्वारा भी सूरज को लेकर missions लॉन्च किये गए और सबका एक ही उद्देश्य था की हम सूरज को बेहतर समझ पाए। खासकर के सूरज से निकलने वाली हानिकारक किरणों को।